हस्तमैथुन: तार्किक या स्वाभाविक
नमस्कार दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते है कि हस्तमैथुन एक स्वयं सुख (संभोग) की आत्मक्रिया है। बहुत सारे विद्वानों का इस हस्तमैथुन के क्रिया के लिए अपने-अपने राय है। परन्तु वास्तविकता क्या है, यह बहुत कम लोगो को पता है। आज का विषय उनलोगो के लिए अत्यधिक लाभप्रद रहेगा जो युवा है या इसके बारे में अनजान है।
दुबे क्लिनिक में आप सभी का स्वागत है। जैसा कि बहुत सारे लोगों ने हस्तमैथुन के इस क्रिया के जानना चाहा है कि क्या यह क्रिया सही है या गलत। क्या किसी व्यक्ति को अपने यौन जीवन में हस्तमैथुन करना चाहिए या नहीं? क्या इस क्रिया को करने से व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, व सामाजिक प्रभाव पड़ता है? आज हमारे साथ जाने-माने विश्व-विख्यात आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे, जो उन सारे तथ्यों को समझायेंगे कि हस्तमैथुन स्वाभाविक है या तार्किक। अगर किसी को इसकी लत लग जाए तो क्या करे।
जैसा कि आप सभी को पता होना चाहिए कि पुरुष और महिला दोनों ही अपने यौन जीवन में हस्तमैथुन की यह क्रिया एक बार अवश्य करते हैं। सबसे पहले, हमें हस्तमैथुन का अर्थ को समझना चाहिए। विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य (आयुर्वेद विशेषज्ञ) डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि व्यक्ति का खुद को शारीरिक और मानसिक सुख देने के लिए यौन अंगों को छूने या रगड़ने की क्रिया को हस्तमैथुन कहा जाता है। पुरुष और महिला दोनों ही अपने जीवन में एक बार यह क्रिया करते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह देखा जाता है कि इस क्रिया में पुरुष लोग ही ज्यादा भाग लेते हैं। इसका मूल कारण है व्यक्ति का वातावरण, सामाजिक परिवेश, शारीरिक व मानसिक विचार।
हस्तमैथुन एक स्वयं-निर्मित स्वाभाविक यौन क्रिया है जिसमें यौन सुख और संतुष्टि के लिए जननांगों या शरीर के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों को उत्तेजित करना शामिल है। इस क्रिया के लिए हाथों, उंगलियों और अन्य वस्तुओं का उपयोग करके किया जा सकता है। यह तनाव को कम करने, नींद में सुधार करने, शारीरिक दर्द कम को करने, संभोग में मदद करने और यौन जरूरतों को पूरा करना सहित कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। अधिकांश समय, यह देखा जाता है कि हस्तमैथुन आपके शरीर का पता लगाने और यौन तनाव को दूर करने का एक सुरक्षित तरीका है। यह सभी लिंगों और पृष्ठभूमि के लोगों के बीच होने वाली सबसे आम गतिविधियों में से एक है। यह क्रिया हानिकारक नहीं है, लेकिन अत्यधिक या बाध्यकारी हस्तमैथुन हानिकारक हो सकता है या अन्य मानसिक स्वास्थ्य या चिंताओं को जन्म दे सकता है।
हस्तमैथुन की लत एक समस्या:
हस्तमैथुन की लत का तात्पर्य अत्यधिक या बाध्यकारी हस्तमैथुन करने से है, जिसमे शारीरिक, मानसिक, व यौन अंग परस्पर सक्रिय नहीं होते। हालाँकि यह एक बहुत ही कठिन मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, लेकिन यह उन लोगों के उनके दैनिक कामकाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है जिनका यौन व्यवहार उनके नियंत्रण से बाहर है। भारत के सीनियर क्लीनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे, जो पटना में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर भी हैं, कहते हैं कि हस्तमैथुन की आवृत्ति किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती है, यह कई कारकों पर निर्भर करता है। अत्यधिक हस्तमैथुन को प्रभावित करने वाले कुछ कारक उम्र, स्वास्थ्य की स्थिति, रिश्ते की स्थिति और व्यक्तिगत सहनशीलता हैं। उनका कहना है कि अत्यधिक हस्तमैथुन, यहाँ तक कि सप्ताह में 2-3 बार भी, नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह जीवन शक्ति को कम कर सकता है और यौन ऊर्जा को असंतुलित भी कर सकता है।
हस्तमैथुन की आवृत्ति के आधार पर संभावित नुकसान:
- सप्ताह में 1-2 बार: आम तौर पर, आवृत्ति (सप्ताह में 1-2 बार) को सामान्य और हानिरहित माना जाता है। यह एक स्वाभाविक यौन क्रिया के श्रेणी में आता है।
- सप्ताह में 3-4 बार: आम तौर पर, आवृत्ति (सप्ताह में 3-4 बार) से हल्की शारीरिक थकान, कामेच्छा में मामूली कमी और न्यूनतम स्तर भावनात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- सप्ताह में 5-6 बार: आम तौर पर, आवृत्ति (सप्ताह में 5-6 बार) से मध्यम शारीरिक थकान, कामेच्छा में कमी, भावनात्मक संकट (अपराधबोध, चिंता) और रिश्ते की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
- सप्ताह में 7 या उससे अधिक बार: दुर्भाग्य से, आवृत्ति (सप्ताह में 7 या उससे अधिक बार) से अत्यधिक शारीरिक थकान, स्तंभन दोष, शीघ्रपतन, भावनात्मक निर्भरता और सामाजिक अलगाव की स्थिति पैदा हो सकता है।
अत्यधिक हस्तमैथुन के लक्षण:
डॉ. सुनील दुबे जो कि बिहार के सर्वश्रेष्ठ क्लिनिकल सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर है, बताते हैं कि अत्यधिक हस्तमैथुन के पहचान करने के कई लक्षण होते हैं। दरअसल, यह यौन क्रिया की लत शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, मानसिक, भावनात्मक, और जीवनशैली कारकों को प्रभावित करते है। निम्नलिखित संकेतों के आधार पर कोई भी व्यक्ति यह समझ सकता है कि वह बाध्यकारी या अत्यधिक हस्तमैथुन क्रिया से प्रभावित है। दरअसल, यह व्यक्ति के यौन, वैवाहिक, पारिवारिक और सामाजिक जीवन के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जाता है।
- शारीरिक नुकसान जैसे चोट और संक्रमण का होना।
- भावनात्मक संकट जैसे अपराधबोध और चिंता की स्थिति।
- रिश्ते की समस्याएं या मनमुटाव की स्थिति।
- उत्पादकता (प्रजनन क्रिया) में कमी का होना।
- सामाजिक अलगाव की स्थिति।
- दैनिक जिम्मेदारियों की उपेक्षा करना।
- लत की भावनाएँ व चिरचिरापन की स्थिति।
हस्तमैथुन से होने वाले संभावित नुकसान:
शारीरिक नुकसान:
- जननांग क्षेत्र में चोट जैसे कट, खरोंच होना।
- मूत्र पथ के संक्रमण जैसे संक्रमण का होना।
- प्रोस्टेटाइटिस जैसे प्रोस्टेट संबंधी समस्याएं।
- स्तंभन दोष (अत्यधिक हस्तमैथुन) होना।
- शीघ्रपतन (कमजोर लिंग तंत्रिका) होना।
मनोवैज्ञानिक नुकसान:
- अपराधबोध और शर्म की स्थिति।
- चिंता और तनाव से ग्रसित होना।
- अवसाद व मानसिक तंगी।
- लत व यौन क्रिया के प्रति आसक्त होना।
- सामाजिक अलगाव का होना।
भावनात्मक नुकसान:
- यौन गतिविधियों का वस्तुकरण करना।
- अवास्तविक अपेक्षाएँ रखना।
- साथी के साथ अंतरंगता की कमी होना।
- रिश्तों की समस्याएँ की स्थिति।
- भावनात्मक निर्भरता का होना।
आध्यात्मिक नुकसान:
- महत्वपूर्ण ऊर्जा की कमी होना।
- यौन ऊर्जा का असंतुलित होना।
- मानसिक स्वास्थ्य में गड़बड़ी होना।
- आत्म-नियंत्रण की कमी का होना।
- आध्यात्मिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना।
मिथक और गलत धारणाएँ:
- हस्तमैथुन से अंधापन होता है।
- हस्तमैथुन से बांझपन होता है।
- हस्तमैथुन एक पापपूर्ण गतिविधि है।
स्वस्थ हस्तमैथुन अभ्यास:
- संयम (सप्ताह में 1-2 बार) रखना।
- स्वच्छता और सफाई रखना।
- सुरक्षित और सहमति से यौन क्रिया में भाग लेना।
- अत्यधिक बल या दबाव से दूर रहना।
- साथी के साथ खुलकर संवाद करना।
हस्तमैथुन से जुड़ी समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार:
विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुनील दुबे ने यौन व्यसन (लत) पर अपना शोध किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हस्तमैथुन की लत सबसे आम यौन व्यसनों में से एक है। उनका कहना है कि यौन गतिविधियों के लिए यह आम बात है। यह भी सत्य है कि अति हर घटना के लिए बुरी बात होती है और अत्यधिक हस्तमैथुन की स्थिति में व्यक्ति को हमेशा इस अति की आवृति से बचना चाहिए। उसे प्रकृति की वास्तविकता और अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए और विवेक से काम करना चाहिए।
डॉ. सुनील दुबे सभी गुप्त व यौन रोगियों का इलाज दुबे क्लिनिक में करते हैं जो भारत का एक प्रमुख आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक है। यह क्लिनिक पटना के लंगर टोली, चौराहा में स्थित है। विभिन्न प्रकार के गुप्त व यौन रोगी (विवाहित और अविवाहित) अपने-अपने चिकित्सा व उपचार हेतु दुबे क्लिनिक में नित्य-दिन आते हैं। वे सभी को उनकी गुप्त व यौन समस्याओं के वास्तविक कारणों को जानने में मदद करते हैं। वह उनके गुप्त व यौन समस्याओं को दूर करने के लिए अपने व्यापक आयुर्वेदिक उपचार, दवा, स्वास्थ्य दिशानिर्देश और गैर-चिकित्सा उपचार (स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक व एंटी-एंग्जायटी थेरेपी) भी प्रदान करते हैं।
उनका कहना है कि आयुर्वेद सभी दवाओं की जड़ है और यह सबसे अच्छी बात यह है कि यह हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति भी है। आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार प्रकृति की पूरी प्रक्रिया के तहत सभी प्रकार के गुप्त व यौन विकारों को जड़ से ठीक करने में सक्षम है। उनका कहना है कि अश्वगंधा (तनाव से राहत के लिए), शतावरी (कामेच्छा विनियमन के लिए), कपिकच्छु (डोपामाइन विनियमन के लिए), वाजीकरण रसायन (प्रजनन स्वास्थ्य के लिए), और पंचकर्म चिकित्सा (विषहरण और संतुलन के लिए) जैसे आयुर्वेदिक उपचार सबसे आम प्राकृतिक संसाधन हैं। कोई भी गुप्त व यौन रोगी अपनी यौन समस्याओं को सुधारने के लिए इस आयुर्वेदिक उपचार और दवा का उपयोग कर सकता है। दुबे क्लिनिक उन सभी गुप्त व यौन रोगियों के लिए सही जगह है जहाँ वे अपने जीवन से सभी गुप्त व यौन विकारों से हमेशा के लिए छुटकारा पा लेते हैं।
अधिक जानकारी के लिए:
भारत का कोई भी वास्तविक ज़रूरतमंद व्यक्ति जो किसी भी तरह की गुप्त व यौन समस्याओं से जूझ रहा है, दुबे क्लिनिक से संपर्क कर सकता है और क्लिनिक में आने या ऑन-कॉल परामर्श के लिए अपनी नियुक्ति ले सकता है। अपॉइंटमेंट हर दिन सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक फ़ोन पर उपलब्ध हैं। दुबे क्लिनिक से जुड़ें और अपने समस्त गुप्त व यौन समस्याओं से हमेशा के लिए छुटकारा पाए।
अधिक जानकारी के लिए, संपर्क करे:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
वेन्यू; दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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